Sad Shayari
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम, हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम, अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला, ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
तुझे चाहा भी तो इजहार न कर सके, कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके, तुने माँगा भी तो अपनी जुदाई मांगी, और हम थे की इंकार न कर सके।
आज हम उनको बेवफा बताकर आए है, उनके खतो को पानी में बहाकर आए है, कोई निकाल न ले उन्हें पानी से.. इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए है।
वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी, मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी, उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना, वो नादान है यारो.. अपना हाथ जला लेगी।
दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने, प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने, हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का.. कैसे बना था.. घोसला वो तूफान क्या जाने।
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