Saturday, July 8, 2017

Golden Temple history in Hindi | स्वर्ण मंदिर इतिहास और रोचक बाते




   स्वर्ण मंदिर इतिहास और रोचक बाते | 
Golden Temple history in Hindi

Golden Temple history in Hindi |  स्वर्ण मंदिर इतिहास और रोचक बाते, golden temple ke bare mein batao, golden temple ke bare mein information


स्वर्ण मंदिर – Golden Temple  हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है, और सिख धर्म का यह मुख्य देवस्थान भी है, जिसे देखकर दुनिया भर के लाखो लोग आकर्षित होते है, केवल सिख धर्म के लोग ही नही बल्कि दूसरे धर्मो के लोग भी इस मंदिर में आते है.
ऐसा एक सुन्दर गुरुद्वारा अमृतसर के बीच में स्थापित है, जहा आज भी दुनिया भर से लाखो श्रद्धालु आते है. इस मंदिर का मुख्य केंद्र बिंदु इसपर सोने की परत चढ़ी होना है.
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स्वर्ण मंदिर का इतिहास और रचक बाते – Golden Temple History In Hindi

श्री हरमंदिर साहिब (देवस्थान) जिसे श्री दरबार साहिब और विशेष रूप से स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है, यह सिख धर्म के लोगो का धार्मिक गुरुद्वारा है जिसे भारत के पंजाब में अमृतसर शहर में स्थापित किया गया है. स्वर्ण मंदिर अमृतसर की स्थापना 1574 में चौथे सिख गुरु रामदासजी ने की थी.



पाँचवे सिख गुरु अर्जुन ने हरमंदिर साहिब को डिज़ाइन किया और धार्मिक मान्यताओ के अनुसार हरमंदिर साहिब के अंदर सिख धर्म का प्राचीन इतिहास भी बताया गया है. हरमंदिर साहिब कॉम्पलेक्स अकाल तख़्त पर ही स्थापित किया गया है.
हरमंदिर साहिब को सिखो का देवस्थान भी कहा जाता है. हरमंदिर साहिब बनाने का मुख्य उद्देश्य पुरुष और महिलाओ के लिये एक ऐसी जगह को बनाना था जहा दोनों समान रूप से भगवान की आराधना कर सके. सिख महामानवों के अनुसार गुरु अर्जुन को मुस्लिम सूफी संत साई मियां मीर ने आमंत्रित किया था.
हरमंदिर साहिब में बने चार मुख्य द्वार सिखो की दूसरे धर्मो के प्रति सोच को दर्शाते है, उन चार दरवाजो का मतलब कोई भी, किसी भी धर्म का इंसान उस मंदिर में आ सकता है. वर्तमान में तक़रीबन 125000 से भी जादा लोग रोज़ स्वर्ण मंदिर में भक्ति-आराधना करने के उद्देश्य से आते है और सिख गुरुद्वारे के मुख्य प्रसाद ‘लंगर’ को ग्रहण करते है.
आज के गुरुद्वारे को 1764 में जस्सा सिंह अहलूवालिया ने दूसरे कुछ और सिक्खो के साथ मिलकर पुनर्निर्मित किया था. 19 वी शताब्दी के शुरू में ही महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब को बाहरी आक्रमणों से बचाया और साथ ही गुरूद्वारे के ऊपरी भाग को सोने से ढक दिया, और तभी से इस मंदिर की प्रसिद्धि को चार-चाँद लग गए थे.
अमृतसर स्वर्ण मंदिर का इतिहास – Golden Temple History Amritsar

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हरमंदिर साहिब और कुछ नही बल्कि भगवान का ही एक मंदिर है. गुरु अमर दास ने गुरु राम दास को एक अमृत टाँकी बनाने का आदेश दिया, ताकि सिख धर्म के लोग भी भगवान की आराधना कर सके. तभी गुरु राम दास ने सभी सिखो को अपने इस काम में शामिल कर लिया था. उनका कहना था की यह अमृत टाँकी ही भगवान का घर है. यह काम करते समय गुरु पहले जिस झोपडी में रहते थे उसे आज गुरु महल के नाम से भी जाना जाता है.




1578 CE में गुरु राम दास ने एक और टाँकी की खुदाई की, जिसे बाद में अमृतसर के नाम से जाना जाने लगा, और बाद में इसी टाँकी के नाम पर ही शहर का नाम भी अमृतसर रखा गया था. और हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) भी अमृतसर के बीचो-बीच बनाया गया था और इसी वजह से सभी सिख स्वर्ण मंदिर को ही अपना मुख्य देवस्थान मानते है.
केवल सिख धर्म गुरु ही नही बल्कि दूसरे धर्मगुरु भी सिखो के इस धर्मस्थान को मानते आये है जैसे की, बाबा फरीद और कबीर इसके साथ ही सिक्खो के पाँचवे गुरु, गुरु अर्जुन ने आदि ग्रन्थ की भी रचना वही रहते हुए की थी.
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स्वर्ण मंदिर के उत्सव –
सिखो का मुख्य उत्सव जिसे वहाँ मनाया जाता है वह है- बैसाखी जो अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है. इसी दिन सिख लोग खालसा की स्थापना का उत्सव भी मनाते है. सिखो के दूसरे महत्वपूर्ण दिनों में गुरु राम दास का जन्मदिन, गुरु तेग बहादुर का मृत्युदिन, सिख संस्थापक गुरु नानक देव का जन्मदिन इत्यादि शामिल है. इस दिन सिख लोग ईश्वर भक्ति करते है.
साधारणतः दीवाली के दिन दियो और कंदिलो की रौशनी में स्वर्ण मंदिर की सुंदरता देखने लायक होती है. इस दिन स्वर्ण मंदिर को दियो और लाइट से सजाया जाता है और फटाखे भी फोड़े जाते है. हर सिख अपनी ज़िन्दगी में एक बार जरूर स्वर्ण मंदिर जाता है और ज्यादातर सिख अपने ज़िन्दगी के विशेष दिनों जैसे जन्मदिन, शादी, त्यौहार इत्यादि समय स्वर्ण मंदिर जाते है.
स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। जिस तरह हिंदुओं के लिए अमरनाथ जी और मुस्लिमों के लिए काबा पवित्र है उसी तरह सिखों के लिए स्वर्ण मंदिर महत्त्व रखता है। सिक्खों के लिए स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे "अथ सत तीरथ" के नाम से भी जाना जाता है। सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव जी ने स्वर्ण मंदिर (श्री हरिमंदिर साहिब) का निर्माण कार्य पंजाब के अमृतसर में शुरू कराया था। 

स्वर्ण मंदिर का इतिहास (History of Golden Temple) 
कहा जाता है कि हरिमंदिर साहिब का सपना तीसरे सिख गुरु अमर दास जी का था। लेकिन इसका मुख्य कार्य पांचवें सिख गुरु अर्जुनदेव जी ने शुरू कराया था। स्वर्ण मंदिर को धार्मिक एकता का भी स्वरूप माना जाता है। एक सिख तीर्थ होने के बावजूद हरिमंदिर साहिब जी यानि स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत मियां मीर जी द्वारा रखी गई है। 



अमृतसर सरोवर की रचना (Sarovar at Golden Temple) 
स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ एक सरोवर है जिसे अमृतसर सरोवर या अमृत सरोवर कहते हैं। इस सरोवर का निर्माण कार्य अर्जुनदेव जी ने पूरा कराया था। इस स्थान को बेहद महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक माना जाता है।
स्वर्ण मंदिर के विशेष तथ्य (Important Facts of Golden Temple) 
• स्वर्ण मंदिर को सिखों का तीर्थ माना जाता है।
• पहली संपूर्ण गुरु ग्रंथ साहिब स्वर्ण मंदिर में ही स्थापित की गई है।
• बाबा बुड्ढा जी स्वर्ण मंदिर के पहले पूजारी थे।
• स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने के चार द्वारा हैं।
• स्वर्ण मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा किचन है जहां प्रतिदिन करीब 1 लाख लोगों के लिए निशुल्क भोजन कराया जाता है। यह भोजन लंगर (एक सामूहिक भोज) के रूप में लोगों तक पहुंचता है।
• बैसाखी, लोहड़ी, प्रकाशोत्सव, शहीदी दिवस, संक्रांति जैसे त्यौहारों पर स्वर्ण मंदिर में भव्य कार्यक्रम होते हैं। विशेषकर खालसा पंथ की स्थापना दिवस यानि बैसाखी के दिन स्वर्ण मंदिर की अनुपम रूप देखने को मिलता है।

स्वर्ण मंदिर के नियम (Rules of Golden Temple) 
यूं तो स्वर्ण मंदिर में किसी भी जाति, धर्म के लोग जा सकते हैं लेकिन स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते समय कुछ बुनियादी नियमों का अवश्य पालन करना होता है जो निम्न हैं: 




• मंदिर परिसर में जाने से पहले जूते बाहर निकालने होते हैं।
• मंदिर के अंदर धूम्रपान, मदिरा पान आदि पूर्णत: निषेध हैं।
• मंदिर के अंदर जाते समय सर ढंका होना चाहिए। मंदिर परिसर द्वारा सर ढंकने के लिए विशेष रूप से कपड़े या स्कार्फ प्रदान किए जाते हैं। सर ढकना आदर प्रकट करने का एक तरीका है।
• गुरुवाणी सुनने के लिए आपको दरबार साहिब के अंदर जमीन पर ही बैठना चाहिए।

स्वर्ण मंदिर की कुछ रोचक बाते – Interesting Facts About Golden Temple in Hindi
अपनी धार्मिक महत्वता होने के बावजूद स्वर्ण मंदिर के बारे में 10 और ऐसी बाते है जिन्हें जानना आपके लिये बहोत जरुरी है –

1. श्री हरमंदिर साहिब के नाम का अर्थ “भगवान का मंदिर” है और इस मंदिर में सभी जाती-धर्म के लोग बिना किसी भेदभाव के आते है और भगवान की भक्ति करते है.
2. इस मंदिर के बारे में एक और रोचक बात यह है की आप चारो दिशाओ से इस मंदिर में प्रवेश कर सकते हो क्योकि चारो दिशाओ में इस मंदिर के प्रवेश द्वार बने हुए है. और यह लोगों की एकता को दर्शाता है.



3. अमृत सरोवर के बिच में ही स्वर्ण मंदिर को बनाया गया है, अमृत सरोवर को सबसे पवित्र सरोवर भी माना जाता है.
4. गुरूद्वारे में सिख धर्म की प्राचीन ऐतिहासिक वस्तुओ का प्रदर्शन भी किया गया है, जिसे देश-विदेश से आये करोडो श्रद्धालु देखते है.
5. संरचनात्मक रूप से यह मंदिर जमीन की सतह से ज्यादा ऊपर नही बना है और यह हिन्दू मंदिरो के बिल्कुल विरुद्ध है, क्योकि हिन्दुओ के बहोत से मंदिर जमीन से थोड़े ऊँचे बने हुए होते है.
6. इस मंदिर को बार-बार कई बार उजाड़ा गया था, पहले मुघल और अफगानों ने और फिर भारतीय आर्मी और आतंकवादियो के मनमुटाव में. और इसी वजह से इसे सिख धर्म की विजय का प्रतिक भी माना जाता है.



7. स्वर्ण मंदिर का मुख्य हॉल गुरु ग्रन्थ साहिब का घर था.
8. कहा जाता है की स्वर्ण मंदिर आज एक वैश्विक धरोहर है, जहा देश ही नही बल्कि विदेशो से भी लोग आते है और इसकी लंगर सेवा भी दुनिया की सबसे बड़ी सेवा है, यहाँ 40000 से जादा लोग रोज़ सेवा करते है.


9. और इस मंदिर की सबसे रोचक और जानने योग्य बात यह है की यह मंदिर सफ़ेद मार्बल से बना हुआ है और जिसे असली सोने से ढका गया है और इसी वजह से इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है.

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