Monday, July 3, 2017

जलमहल का रोचक इतिहास – Jal Mahal History In Hindi



जल महल


मानसागर झील के मध्य स्थित जल महल -

जलमहल – Jal Mahal भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के मान सागर सरोवर के बीच में बना हुआ है. 18 वी शताब्दी में आमेर के महाराजा जय सिंह द्वितीय ने यहाँ पैलेस और जलमहल का निर्माण किया था. “जलमहल को आँखों को भने वाले मनमोहक रूप में बनाया गया है.” पारंपरिक वृन्दावन के नाविकों ने यहाँ राजपूत स्टाइल में लकडियो की नावो (नाव) को भी बनाया है. पानी में छप-छप करता हुआ नाविक ही आपको जलमहल ले जाता है. महल में बने रास्तो को भी सजाया गया है और यदि आप थोडा उपर जाओ तो आपको चमेली बाग़ भी देखने को मिलता है जिसकी खुशबू निश्चित ही आपका मन मोह लेगी. सरोवर के आगे आपको विशाल पर्वत देखने मिलेंगे, जिसके उपर इतिहासिक मंदिर और किले बने हुए है और सरोवर के दूसरी तरफ आपको गुलाबी शहर जयपुर देखने मिलेगा. जलमहल का सबसे आकर्षक बदलाव खुद सरोवर ही है. क्योकि सरोवर में जमा हुआ कचरा और मैला निचे से बहा दिया जाता है, तक़रीबन 2 तन टॉक्सिक को बहाया जाता है और साथ ही सरोवर के पानी को शुद्ध रखने के लिये वाटर सिस्टम भी विकसित किया गया है. इस सरोवर पर आपको अलग और सुन्दर पक्षी भी देखने को मिल सकते है.




जलमहल का रोचक इतिहास –  Jal Mahal History In Hindi

अभी जहा सरोवर है पहले उस जगह का उपयोग पानी को इकट्टा करने के लिये किया जाता था. 1596 AD के समय में इस क्षेत्र में पानी का अकाल पड़ा हुआ था. तभी आमेर के शासक ने एक डैम बनाने का निर्णय लिया ताकि वे बर्बाद हो रहे पानी को इकट्टा कर सके. योजना के अनुसार डैम का निर्माण किया गया और आमेर पर्वत और अमागढ़ पर्वत से पानी इकट्टा कर के इसके जमा किया जाने लगा. कुछ समय के लिये बने इस डैम को 17 वी शताब्दी में पत्थरो का बनाया गया. और आज यह डैम तक़रीबन 300 मीटर (980 फीट) लंबा और 28.5-34.5 मीटर (94-113 फीट) गहरा है. पानी बहाने के लिये आतंरिक 3 गेट का निर्माण भी किया गया है, ताकि जरुरत पड़ने पर खेती के लिये पानी को स्थानांतरित किया जा सके. तभी से यह डैम स्थानिक लोगो में काफी प्रसिद्ध हो गया और इसके बाद राजस्थान के बहोत से शासको ने समय-समय पर इसकी मरम्मत भी करवाई और 18 वी शताब्दी में आमेर के जय सिंह द्वितीय ने इसका पुनर्निर्माण करवाया. उस समय और भी बहोत सी इतिहासिक इमारते वहा थी, जैसे की आमेर किलाजयगढ़ किलानाहरगढ़ किला, खिलानगढ़ किला और कनक वृन्दावन घाटी. राजस्थान की ये सभी इमारते और स्मारक पर्यटकों के लिये आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी है.


विशेषता




 तपते रैगिस्तान के बीच बसे इस महल में गरमी नहीं लगती, क्‍योंकि इसके कई तल पानी के अंदर बनाए गए हैं। इस महल से पहाड़ और झील का ख़ूबसूरत नज़ारा भी देखा जा सकता है। चांदनी रात में झील के पानी में इस महल का नजारा बेहद आकर्षक होता है। जलमहल अब पक्षी अभ्‍यारण के रूप में भी विकसित हो रहा है। जल महल के नर्सरी में 1 लाख से ज्‍यादा वृक्ष लगे हुए हैं। दिन रात 40 माली पेड़ पौधों की देखभाल में लगे रहते हैं। यह नर्सरी राजस्थान का सबसे उंचे पेड़ों वाला नर्सरी है। यहां अरावली प्‍लांट, ऑरनामेंटल प्‍लांट, शर्ब, हेज और क्रिपर की हजारों विभिन्नताएँ मौजूद हैं। यहाँ के १५0 वर्ष पुराने पेड़ों को ट्रांसप्‍लांट कर नया जीवन दिया गया है। हर साल यहां डेट पाम, चाइना पाम और बुगनबेलिया जैसे शो प्‍लांट को ट्रांसप्‍लांट किया जाता है।[5]

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