Friday, June 9, 2017

इस महल में रात में ड्यूटी पर सोने पर पड़ते हैं अंग्रेज भूत के तमाचे!



इस महल में रात में ड्यूटी पर सोने पर पड़ते हैं अंग्रेज भूत के तमाचे!



राजस्थान के कोटा शहर में एक पुरानी हवेली है। हवेली का नाम है ब्रिज भवन जो अब एक होटल है। इस होटल में देश दुनिया से पर्यटक आते हैं, लेकिन इसके अंदर कदम रखते ही एक आहट सी होती है। वो आहट है यहां पर वास करने वाली आत्मा की। कहा जाता है कि ब्रिज भवन में एक अंग्रेज की आत्मा आज भी वास करती है। वो अंग्रेज जिसे भवन के सेंट्रल हॉल में उसके दो जुड़वां बेटों के साथ मार दिया गया था।

यह भवन 180 साल पुराना है। इसे हेरिटेज इमारत के रूप में घोषित कर दिया गया है। बात 1857 की है, जब देश भर में अंग्रेजों के खिलाफ जंग छिड़ी हुई थी। चंबल नदी के किनारे स्थित ब्रिज भवन का निर्माण को ब्रिटिश रेजीडेंसी के रूप में किया गया था। ब्रिटिश राज में हिंदू-मुसलमानों के बीच अंग्रेजों ने झगड़ा करवा दिया। मंदिरों के पास गो मांस फेंक देते और मस्जिदों के पास सुअर का मांस। इस वजह से दोनों धर्मों के बीच जंग छिड़ गई। 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में जब आम जनता को अंग्रेजों की चाल समझ में आ गई, तब दोनों समुदायों के लोग एक जुट हो गये और एक संगठन बना लिया। 1857 में अफवाह फैल गई कि भारतीय सिपाहियों को दी जाने वाली बंदूकों की गोलियों को बनाने में पोर्क और बीफ का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदुओं में गोमांस और मुसलमानों में पोर्क पूरी तरह प्रतिबंधित है। लिहाजा सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया। इसी विद्रोह के दौरान मेजर चार्ल्स बर्टन और उसके दो जुड़वां बेटे कोटा रेजीडेंसी में रहते थे।

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भवन के सेंट्रल हॉल में हुआ नरसंहार सिपाहियों ने विद्रोह की जंग छेड़ दी और ब्रिज भवन को घेर लिया। उस वक्त मेजर बर्टन की सुरक्षा में महज एक ऊंट-चालक था। सिपाहियों के गुस्से को देख मेजर के दोनों बेटे ऊपर के माले पर चले गये और चिल्ला-चिल्ला कर मदद मांगने लगे। जबकि मेजर को नीचे सेंट्रल हॉल में सिपाहियों ने पकड़ लिया और वहीं पर चाकू से गोद कर हत्या कर दी। पिता की मौत को देख दोनों बेटे ऊपर की ओर भागे और अंत में जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो छत से कूद गये। ऊंचाई से गिरने के तुरंत बाद उन दोनों को भी मार डाला गया। यह मंजर बेहद खौफनाक था, क्योंकि बाप के किये की सजा बेटों को भुगतनी पड़ी थी। अचानक हुई मौत के बाद बर्टन की आत्मा को शायद शांति नहीं मिली और लोग कहते हैं कि उसकी आत्मा आज भी इसी ब्रिज भवन में निवास करती है।

इस बात की पुष्टि 1980 में कोटा की पूर्व महारानी ने ब्रिटेन के पत्रकार को दिये गये इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने कई बार अपने ड्रॉइंग रूम (सेंट्रल हॉल) में मेजर के भूत को देखा है। उन्होंने यहां तक बताया कि उन्होंने एक बूढ़े आदमी के अक्स को देखा, जिसके हाथ में एक डंडा था। हालांकि उन्होंने बताया कि उस आत्मा ने उन्हें कभी कोई क्षति नहीं पहुंचायी।

ब्रिज भवन जो अब कोटा स्टेट गेस्ट हाउस बन गया है, यहां काम करने वाले लोग बताते हैं कि अक्सर छत व बागीचे में किसी के चलने की आवाजें आती हैं। लोग बताते हैं कि अगर रात के अंधेरे में कोई छत पर या बागीचे में जाता है, तो उसे थप्पड़ पड़ जाता है। लोगों का मानना है कि यह थप्पड़ कोई और नहीं मेजर का भूत ही मारता है।

यहां आज भी एक अंग्रेज अफसर का भूत घूमता है। बृजराज भवन पैलेस नाम के इस खूबसूरत महल को देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि कभी राजा महाराजाओं और अंग्रेज अधिकारियों का घर रहा ये महल भुतहा हो जाएगा। कोटा की पूर्व महारानी का कहना है कि उन्होंने 1980 में अंग्रेज अफसर को उसी हॉल में देखा था, जहां उन्हें मारा गया था। उस समय महारानी इस हॉल को अपने ड्राइंग रूम के रूप में उपयोग में लाती थीं। लोगों का कहना है कि अफसर का यह भूत किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन रात में ड्यूटी के दौरान अगर कोई गार्ड सोते हुए मिलता है, तो यह भूत उसे तमाचे रसीद कर ड्यूटी याद करा देता है।

माना जाता है कि अंग्रेजों के जमाने में इस भवन में मेजर बर्टन रहा करते थे। वो बेहद क्रूर थे। उनकी क्रूरता के कारण लोग उनसे त्रस्त रहते थे और उन्हें मारने के मौके की तलाश में रहते थे। 1857 विद्रोह के समय सिपाहियों ने इस भवन के बीचो बीच उनके दोनो बेटों समेत उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया। उसी समय से यह भवन भूतों का डेरा बना हुआ है।


इस भुतहा महल के लिए आज भी है लोगों का क्रेज


ब्रिज राज भवन चंबल नदी के किनारे बना है। इसमें 7 एसी कमरे हैं। जिसमें दो आलीशान सुइट है। यहां सैलानियों के लिए सभी अत्याधुनिक सुविधाएं (टेनिस कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, गार्डन) उपलब्ध है

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