Akbar History In Hindi | अकबर के जीवन
जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर जीवनी –
Akbar history in Hindi
पूरा नाम– अबुल-फतह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर
जन्म – 15 अक्तुबर, 1542
जन्मस्थान – अमरकोट
पिता Father of Akbar – हुमांयू
माता – नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबाजन्म – 15 अक्तुबर, 1542
जन्मस्थान – अमरकोट
पिता Father of Akbar – हुमांयू
शिक्षा – अल्पशिक्षित होने के बावजूद सैन्य विद्या में अत्यंत प्रवीण थे।
विवाह Wives of Akbar – रुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत।
संतान Son of Akbar – जहाँगीर
मुग़ल बादशाहो का इतिहास Mughal History in hindi
दिल्ली सल्तनत की शक्ति ख़त्म हो रही थी , अनेक राज्यो का उदय हो गया था , कोई भी राज्य ऐसा नहीं था जो देश की रक्षा कर सके , इसी अवसर का लाभ उठाकर बाबर ने भारत पर आक्रमण कर दिया
Babar बाबर( 1526-1530)
बाबर Babar ने 1526 में पानीपत के मैदान में इब्राहिम लोदी Ibrahim Lodi को हराकर दिल्ली से आगरा तक अपन अधिकार कर लिया |
बाबर ने मेवाङ के राजा राणा सांगा , और चंदेरी के राजा को हराकर भारत में मुग़ल शासन की स्थापना की | बाबर को कलम और तलवार दोनों का सिपाही कहा जाता है , वह सैनिक कार्य के साथ साथ साहित्य में भी रूचि रखता था |
बाबर के बाद उसके पुत्र हिमायूं को राजा बनाया गया.
हिमायूं Himayun ( 1530-1540 तथा 1555-1556 )
बाबर के बाद हिमायु को अनेक विढ्रोह का सामना करना पढ़ा . 1538 में हिमायूं ने शेरशाह सूरी Shershah Suri से चुनार जीत लिया | परंतु 1538 में शेरशाह और हिमायूं के बीच बहुत भीषण युद्ध हुआ जिसमे लाखो जान गयी और शेरशाह सूरी भारत का शासक बन गया | और हिमायूं फारस लौट गया | शेरसाह की म्रक्तु के बाद हिमायूं दुबारा से दिल्ली पर अपना अधिकार करना चाहता था | और उसने कई राजाओ की मदद से दिल्ली पर पुनः अपना अधिकार कर लिया
अकबर प्रारंभिक जीवन – History
of King Akbar
अकबर हुमायु के बेटे थे, जिन्होंने पहले से ही मुघल साम्राज्य का भारत में विस्तार कर रखा था।
1539-40 में चौसा और कन्नौज में होने वाले शेर शाह सूरी से युद्ध में पराजित होने के बाद मुघल सम्राट हुमायु पश्चिम की और गये जहा सिंध में उनकी मुलाकात 14 साल की हमीदा बानू बेगम जो शैख़ अली अकबर की बेटी थी। उन्होंने उनसे शादी कर ली और अगले साल ही जलाल उद्दीन मुहम्मद का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को राजपूत घराने में सिंध के उमरकोट में हुआ (जो अभी पकिस्तान में है) जहा उनके माता-पिता को वहा के स्थानिक हिंदु राना प्रसाद ने आश्रय दिया।
और मुघल शासक हुमायु के लम्बे समय के वनवास के बाद, अकबर अपने पुरे परिवार के साथ काबुल स्थापित हुए। जहा उनके चाचा कामरान मिर्ज़ा और अस्करी मिर्ज़ा रहते थे। उन्होंने अपनी पुरानी जवानी शिकार करने में, युद्ध कला सिखने में, लड़ने में, भागने में व्यतीत की जिसने उसे एक शक्तिशाली, निडर और बहादुर योद्धा बनाया। लेकिन अपने पुरे जीवन में उन्होंने कभी लिखना या पढना नहीं सिखा था।
ऐसा कहा जाता है की जब भी उन्हें कुछ पढने की जरुरत होती तो वे अपने साथ किसी को रखते थे जिसे पढना लिखना आता हो। 1551
के नवम्बर में अकबर ने काबुल की रुकैया से शादी कर ली। महारानी रुकैया उनके ही चाचा हिंदल मिर्ज़ा की बेटी थी। जो उनकी पहली और मुख्य पत्नी थी। उनकी यह पहली शादी अकबर के पिता और रुकैया के चाचा ने रचाई थी। और हिंदल मिर्ज़ा की मृत्यु के बाद हुमायु ने उनकी जगह ले ली
शेर शाह सूरी से पहली बार पराजित होने के बाद, हुमायु में दिल्ली को 1555
में पुनर्स्थापित किया और वहा उन्होंने एक विशाल सेना का निर्माण किया। और इसके कुछ ही महीनो बाद हुमायु की मृत्यु हो गयी।
अकबर को एक सफल शक्तिशाली बादशाह बनाने के लिए अकबर के रक्षक ने उनसे उनके पिता की मृत्यु की बात छुपाई। और अंत में 14 फेब्रुअरी 1556
को सिकंदर शाह को पराजित कर अकबर युद्ध में सफल हुए और वही से उन्होंने मुघल साम्राज्य का विस्तार शुरू किया।
कलानौर, पंजाब में बैरम खान द्वारा 13 साल के अकबर को वहा की राजगद्दी सौपी गयी, ताकि वे अपने लिए एक नया विशाल साम्राज्य स्थापित कर सके। जहा उन्हें “शहंशाह” का नाम दिया गया। बैरम खान ने हमेशा अकबर का साथ दिया।
Jalaluddin Muhammad Akbar
अकबर एक बहादुर और शक्तिशाली शासक थे उन्होंने गोदावरी नदी के आस-पास के सारे क्षेत्रो को हथिया लिया था और उन्हें भी मुघल साम्राज्य में शामिल कर लिया था। उनके अनंत सैन्यबल, अपार शक्ति और आर्थिक प्रबलता के आधार पर वे धीरे-धीरे भारत के कई राज्यों पर राज करते चले जा रहे थे।
अकबर अपने साम्राज्य को सबसे विशाल और सुखी साम्राज्य बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने कई प्रकार की निति अपनाई जिस से उनके राज्य की प्रजा ख़ुशी से रह सके।
उनका साम्राज्य विशाल होने के कारण उनमे से कुछ हिंदु धर्म के भी थे, उनके हितो के लिए उसने हिंदु सम्राटो की निति को भी अपनाया और मुघल साम्राज्य में लागू किया। वे विविध धर्मो के बिच हो रहे भेदभाव को दूर करना चाहते थे। उनके इस नम्र स्वाभाव के कारण उन्हें लोग एक श्रेष्ट राजा मानते थे। और ख़ुशी-ख़ुशी उनके साम्राज्य में रहते थे।
हिन्दुओं के प्रति अपनी धार्मिक सहिष्णुता का परिचय देते हुए उन्होंने उन पर लगा ‘जजिया’ नामक कर हटा दिया। अकबर में अपने जीवन में जो सबसे महान कार्य करने का प्रयास किया, वह था ‘दिन-ए-इलाही’ नामक धर्म की स्थापना।
इसे उन्होंने सर्वधर्म के रूप में स्थापित करने की चेष्टा की थी। 1575
में उन्होंने एक ऐसे इबादतखाने (प्रार्थनाघर) की स्थापना की थी, जो सभी धर्मावलम्बियों के लिए खुला था, वो अन्य धर्मों के प्रमुख से धर्म चर्चायें भी किया करते थे।
साहित्य एवं कला को उन्होंने बहुत अधिक प्रोत्साहन दिया। अनेक ग्रंथो, चित्रों एवं भवनों का निर्माण उनके शासनकाल में ही हुआ था। उनके दरबार में विभिन्न विषयों के लिए विशेषज्ञ नौ विद्वान् थे, जिन्हें ‘नवरत्न’ कहा जाता था।
अकबर को भारत के उदार शासकों में गिना जाता है। संपूर्ण मध्यकालीन इतिहास में वो एक मात्र ऐसे मुस्लीम शासक हुए है जिन्होंने हिन्दू मुस्लीम एकता के महत्त्व को समझकर एक अखण्ड भारत निर्माण करने की चेष्टा की।
भारत के प्रसिद्ध शासकों में मुग़ल सम्राट अकबर अग्रगण्य है, वो एकमात्र ऐसे मुग़ल शासक सम्राट थे, जिन्होंने हिंदू बहुसंख्यकों के प्रति कुछ उदारता का परिचय दिया।
धीरे-धीरे भारत में मुघल साम्राज्य का विस्तार होने लगा और स्थिर आर्थिक परिस्थिती राज्य में आ रही थी। अकबर कला और संस्कृति के बहोत बड़े दीवाने थे इसलिए उन्होंने अपने शासन काल में इन दोनों के विकास पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया। उन्हें साहित्य का भी बहुत शौक था इसलिए उन्होंने 2400
खंड लिखवाए और उन्हें ग्रंथालय में प्रकाशित भी किया।
उनकें साम्राज्य में कई भाषा के सैनिक थे जैसे की हिंदु, संस्कृत, ग्रीक, पर्शियन इत्यादि। अकबर ने हिंदु-मुस्लिम सम्प्रदायों के बिच की दुरिया कम करने के लिए दिन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की।
उनका दरबार सबके लिए हमेशा से ही खुला रहता था। अकबर ने अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपनी दीवारों पर बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओ के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओ सहित अन्य धर्मो में भी अपनी रूचि दिखाई।
अकबर ने हिंदु राजपूत राजकुमारी से वैवाहिक भी किया। उनकी एक राणी जोधाबाई राजपूत थी। अकबर के दरबार में अनेक हिंदु दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओ व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी श्रुंखला आरम्भ की थी, जिसमे मुस्लिम आलिम लोगो की जैन, सीख, हिंदु, नास्तिक, पुर्तगाली एवम् कैथोलिक इसाई धर्मशास्त्रियो से चर्चा हुआ करती थी।
मुघल साम्राज्य में निच्छित ही भारतीय इतिहास को प्रभावित किया था। उनकी ताकत और आर्थिक स्थिति सतत तेज़ी से बढती जा रही थी। अकबर ने अपने आर्थिक बल से विश्व की एक सबसे शक्तिशाली सेना बना रखी थी, जिसे किसी के लिए भी पराजित करना असंभव सा था।
अकबर ने जो लोग मुस्लिम नहीं थे उनसे कर वसूल करना भी छोड़ दिया और वे ऐसा करने वाले पहले सम्राट थे, और साथ ही जो मुस्लिम नहीं है उनका भरोसा जितने वाले वे पहले सम्राट थे। अकबर के बाद, सफलता से उनका साम्राज्य उनका बेटा जहागीर चला रहा था।
अकबर के नवरत्न Navratna of Akbar
अकबर विद्धानों को अपनी सभा में जगह देता था | उसके दरवार में अनेक प्रसिद्ध विद्धान थे |
मुल्ला दो प्याज़ Mulla Do Pyaza ,
हाकिम हुमाम Hakim Hukum,
अब्दुल रहीम खानखाना Abdul rahim khan i khana ,
अबुलफजल Abul Fazal ,
तानसेन Tansen ,
राजा मानसिंह Raja Man Singh ,
राजा टोडरमल Todar Mal ,
फैजी Faizi ,
बीरबल (Birbal ) अकबर के दरवार के नवरत्न थे
मृत्यु – Akbar Death:
3 अक्टूबर 1605
अकबर को पेचिश की बीमारी हुई, जिस से वे कभी ठीक नहीं हो पाए। उनकी मृत्यु 27 अक्टूबर 1605
को हुई, उसके बाद आगरा में उनकी समाधी बनाई गयी।
King
Akbar :
अकबर मुघल साम्राज्य के महान और बहादुर सम्राटो में से एक थे। उन्होंने कभी मुस्लिम और हिंदु इन दो धर्मो में भेदभाव नहीं किया। और अपने साम्राज्य में सभी को एक जैसा समझकर सभी को समान सुविधाए प्रदान की। इतिहास में झाककर देखा जाए तो हमें जोधा-अकबर की प्रेम कहानी विश्व प्रसिद्द दिखाई देती है।
जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर अपनी प्रजा के लिए किसी भगवान् से कम नहीं थे। उनकी प्रजा उनसे बहोत प्यार करती थी। और वे भी सदैव अपनी प्रजा को हो रहे तकलीफों से वाकिफ होकर उन्हें जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करते। इसीलिए इतिहास में शहंशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर को एक बहादुर, बुद्धिमान और शक्तिशाली शहंशाह माने जाते है।
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