Monday, June 26, 2017

Japan City Full Story

Japan City Full Story

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जापान वा उदयवर्ष, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी ०.५% कोरियाई, ०.४% चाइनीज तथा ०.६% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्यनिकास है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में ९६% बौद्ध अनुयायी है।

इतिहास

मुख्य लेख : जापान का इतिहास
जापानी लोककथाओं के अनुसार विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी को भी रचा। फिर उसका पोता क्यूशू द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू द्वीप पर फैल गए।[कृपया उद्धरण जोड़ें]







पूरा शहर जली लाशों और मलबे में दबा था'

उस दिन कैलेण्डर पर तारीख थी 6 अगस्त 1945। जापान के हिरोशिमा का आसमान साफ था, कोई बादल नहीं था। हिरोशिमा के लोगों के लिए ये हर सुबह जैसी ही थी। लोग अपने रोज़मर्रा के कामों को निपटा रहे थे, इस बात से अंजान कि वहाँ सब कुछ चंद पलों में ही ख़त्म होने वाला है। इतिहास तो लिखा जाना अभी भी बाक़ी था, लेकिन इसकी इबारत तैयार थी।

अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन एक बेहद गोपनीय अभियान में जापान पर परमाणु बम गिराए जाने को मंज़ूरी दे चुके थे। रात या कहलें कि सुबह के 2 बजकर 45 मिनट पर अमरीकी वायुसेना के बमवर्षक बी-29 'एनोला गे' ने उड़ान भरी और दिशा थी पश्चिम की ओर, लक्ष्य था जापान...


हिरोशिमा के लिए जो बम रवाना किया गया उसे पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति रुज़वेल्ट के सन्दर्भ में 'लिटिल बॉय' के नाम से भी जाना जाता है। बी-29 में जब 'लिटिल बॉय' को लादा गया तो ये सक्रिय बम नहीं था, उसमें बारूद भरा जाना बाक़ी था और बम का सर्किट भी पूरा नहीं था। 'एनोला गे' विमान के चालकदल में शामिल 12 लोगों में पॉल डब्लू तिब्बेत्स, सहचालक थियोडोर, जे वॉन किर्क और शस्त्र अधिकारी मॉरिस जैप्सन थे। मॉरिस जैप्सन वो व्यक्ति थे जिनके हाथ में आख़िरी बार 'लिटिल बॉय' था।

उन्होंने अपने चालक सहयोगी डीक पार्सन के साथ मिल कर चार बड़े बैग बारूद इस बम में रख दिए। इसके बाद जैप्सन ने लिटिल बॉय में प्लग लगा कर इसे ज़िंदा बम में तब्दील कर दिया। हिरोशिमा एक बंदरगाह शहर था जो कि जापान की सेना को रसद मुहैया कराने का केंद्र था। ये शहर सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण शहर था, यहाँ से ही जापानी सेना का संचार तंत्र चलता था। उस समय हिरोशिमा में वक़्त था सुबह के सवा आठ बजे।

'एनोला गे' ने लिटिल बॉय को आसमान में गिरा दिया। 'एनोला गे' की कमान पायलट कर्नल पॉल डब्लू तिब्बेत्स के हाथ में थी। वो कहते हैं, ''कुछ ऐसा था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्या कहूँ बम गिराने के बाद चंद सेकेंड के लिए मैंने पलट कर उसे देखा और आगे चल दिया।"

हिरोशिमा में सब कुछ निर्जन हो चुका था

तिब्बेत्स ने बताया कि उन्होंने धुएँ के बादल और तेज़ी से फैलती हुई आग देखी। धुंए के ग़ुबार ने बड़ी तेज़ी से शहर को अपनी चपेट में ले लिया। इस तरह चंद मिनटों में ही हिरोशिमा में सब कुछ निर्जन हो चुका था...उजाड़ और वीरान। अमरीकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने घोषणा करते हुए कहा, "अब से कुछ देर पहले एक अमरीकी जहाज़ ने हिरोशिमा पर एक बम गिरा कर दुश्मन के यहाँ भारी तबाही मचाई है।

यह बम 20 हज़ार टन टीएनटी क्षमता का था और अब तक इस्तेमाल में लाए गए सबसे बड़े बम से दो हज़ार गुना अधिक शक्तिशाली था।" उन्होंने कहा, "इस बम के साथ ही हमें हथियारों के श्रृंखला में एक नया क्रांतिकारी विध्वसंक हथियार मिल गया है, जो हमारी सेनाओं को मज़बूती देगा।

इस समय इन बमों का उत्पादन किया जा रहा है, साथ ही इससे भी ज़्यादा ख़तरनाक बमों पर काम किया जा रहा है। ये परमाणु बम हैं जिनमें ब्रहमांड की शक्ति है। इस वैज्ञानिक उपलब्धि को हासिल करने के लिए हमने दो अरब डॉलर ख़र्च किए हैं।"

धमाके, आग और तबाही

स्कूल की एक छात्रा जिंको क्लाइन, हिरोशिमा रेलवे स्टेशन पर अपने कुछ दोस्तों के साथ थीं, उस जगह के बिलकुल पास जहाँ बम गिराया गया था। क्लाइन के मुताबिक़, ''मैंने एक ज़ोर का धमाका सुना, मुझे बहुत ज़्यादा दबाव महसूस हुआ, मेरी आंखें जलने लगीं, कुछ समय के लिए मैं बेहोश हो गई। जब मुझे होश आया तो देखा आसमान पूरी तरह से काला हो चुका था।

हर तरफ़ से मदद के लिए चीख़ती दर्दनाक आवाज़ें सुनाई दे रहीं थी। मैंने महसूस किया कि मैं सांस नहीं ले पा रही हूँ और मैंने भी चीख़ना शुरू कर दिया।" उनके मुताबिक़, "तभी दो मज़बूत हाथ मेरी ओर बढ़े और उन्होंने मुझे वहाँ से खींच कर बाहर निकाल लिया। इसी समय हीरोशिमा स्टेशन भरभरा कर गिर पड़ा। मैं भागने लगी, मुझे लगा कि आग का गोला मेरा पीछा कर रहा है।
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तभी मुझे एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी उसने मुझे मेरे नाम से पुकारा, वो मेरी एक सहेली की आवाज़ थी।" क्लाइन के मुताबिक़, "वो मलबे में दबी थी, मैंने उसे खींच कर बाहर निकालने की भरसक कोशिश की, लेकिन तभी वो आग की चपेट में आ गई। मैं सांस नहीं ले पा रही थी, उसके हाथ ने मेरे हाथ को भींच रखा था, भरी आंखों के साथ मैंने किसी तरह से अपना हाथ खींचा और फिर भागने लगीं। पीछे उसकी चीख़ती हुई आवाज़ धीरे-धीरे आग और धमाकों के शोर में गुम हो गई।"

लाशें ही लाशें




उनके अनुसार,"भागते-भागते मैं एक पहाड़ी पर पहुंची जहाँ तमाम घायल, जले हुए लोग कराह रहे थे, मैं उनके और लाशों के ढेर के बीच कहीं पड़ी थी।" "शाम को क़रीब पांच बजे मैं अपने पिता और माँ के पास किसी तरह पहुंची, रास्ते भर में मुझे जले हुए शव, नदी में तैरती हुई लाशें दिखीं। शहर से बाहर रहने वाले मेरे पिता तो बच गए लेकिन मेरी मां बुरी तरह घायल थीं।

कुछ दिन बाद मेरे पूरे शरीर पर बैंगनी फफोले पड़ गए, मेरे सारे बाल गिर चुके थे, चेहरा विकृत हो चुका था।" छह अगस्त 1945 को जो लोग भी हिरोशिमा में थे वो या तो मारे जा चुके थे और जो बच गए उन पर रेडियो विकिरण का असर हुआ। ये एक ऐसा असर था जो कि आने वाली पीढ़ियों पर भी दिखाई देने वाला था।

'लिटिल बॉय' जब हिरोशिमा के वायुमंडल में फटा तो 13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही फैल गई थी। शहर की 60 फीसदी से भी अधिक इमारतें नष्ट हो गईं थीं। उस समय जापान ने इस हमले में मरने वाले नागरिकों की आधिकारिक संख्या एक लाख 18 हज़ार 661 बताई थी। बाद के अनुमानों के अनुसार, हिरोशिमा की कुल तीन लाख 50 हज़ार की आबादी में से एक लाख 40 हज़ार लोग इसमें मारे गए थे। इनमें सैनिक और वे लोग भी शामिल थे जो बाद में परमाणु विकिरण की वजह से मारे गए। बहुत से लोग लंबी बीमारी और अपंगता के भी शिकार हुए। कैलेंडर में एक बार फिर तारीख़ बदली और इस बार वो तारीख थी 9 अगस्त 1945।
बी-29 विमान 31,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ रहा था

आठ अगस्त की रात बीत चुकी थी, अमरीका के बमवर्षक बी-29 सुपरफोर्ट्रेस बॉक्स पर एक बम लदा हुआ था। यह बम किसी भीमकाय तरबूज़-सा था और वज़न था 4050 किलो। बम का नाम विंस्टन चर्चिल के सन्दर्भ में 'फ़ैट मैन' रखा गया। इस दूसरे बम के निशाने पर था औद्योगिक नगर कोकुरा। यहाँ जापान की सबसे बड़ी और सबसे ज़्यादा गोला-बारूद बनाने वाली फैक्टरियाँ थीं।

सुबह नौ बजकर पचास मिनट पर नीचे कोकुरा नगर नज़र आने लगा। इस समय बी-29 विमान 31,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ रहा था। बम इसी ऊँचाई से गिराया जाना था। लेकिन नगर के ऊपर बादलों का डेरा था। बी-29 फिर से घूम कर कोकुरा पर आ गया। लेकिन जब शहर पर बम गिराने की बारी आई तो फिर से शहर पर धुंए का क़ब्ज़ा था और नीचे से विमान-भेदी तोपें आग उगल रहीं थीं। बी-29 का ईंधन ख़तरनाक तरीक़े से घटता जा रहा था। विमान में सिर्फ़ इतना ही तेल था कि वापस पहुंच सकें।


ग्रुप कैप्टन लियोनार्ड चेशर कहते हैं, "हमने सुबह नौ बजे उड़ान शुरू की। जब हम मुख्य निशाने पर पहुंचे तो वहाँ पर बादल थे। तभी हमें इसे छोड़ने का संदेश मिला और हम दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़े जो कि नागासाकी था।" चालक दल ने बम गिराने वाले स्वचालित उपकरण को चालू कर दिया और कुछ ही क्षण बाद भीमकाय बम तेज़ी से धरती की ओर बढ़ने लगा। 52 सेकेण्ड तक गिरते रहने के बाद बम पृथ्वी तल से 500 फ़ुट की उँचाई पर फट गया।

सारे शहर को निगलने लगा




आग का एक भीमकाय गोला मशरुम की शक्ल में उठा। गोले का आकार लगातार बढ़ने लगा और तेज़ी से सारे शहर को निगलने लगा। नागासाकी के समुद्र तट पर तैरती नौकाओं और बन्दरगाह में खड़ी तमाम नौकाओं में आग लग गई। आस पास के दायरे में मौजूद कोई भी व्यक्ति यह जान ही नहीं पाया कि आख़िर हुआ क्या है क्योंकि वो इसका आभास होने से पहले ही मर चुके थे।

शहर के बाहर कुछ ब्रितानी युद्धबंदी खदानों मे काम कर रहे थे उनमें से एक ने बताया, "पूरा शहर निर्जन हो चुका था, सन्नाटा। हर तरफ़ लोगों की लाशें ही लाशें थी। हमें पता चल चुका था कि कुछ तो असाधारण घटा है। लोगों के चेहरे, हाथ पैर गल रहे थे, हमने इससे पहले परमाणु बम के बारे में कभी नहीं सुना था।"

नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6।7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई। लगभग 74 हज़ार लोग इस हमले में मारे गए थे और इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए थे। इसी रात अमरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने घोषणा की, "जापानियों को अब पता चल चुका होगा कि परमाणु बम क्या कर सकता है।" उन्होंने कहा, "अगर जापान ने अभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया तो उसके अन्य युद्ध प्रतिष्ठानों पर हमला किया जाएगा और दुर्भाग्य से इसमें हज़ारों नागरिक मारे जाएंगे।"

दो परमाणु हमलों और 8 अगस्त 1945 को सोवियत संघ द्वारा जापान के विरुद्ध मोर्चा खोल देने पर, जापान के पास कोई और रास्ता नहीं बचा था। जापान के युद्ध मंत्री और सेना के अधिकारी आत्मसमर्पण के पक्ष में फिर भी नहीं थे, लेकिन प्रधानमंत्री बारोन कांतारो सुज़ुकी ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और इसके छह दिन बाद जापान ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

जापान देश के बारे में 25 ग़ज़ब रोचक तथ्य

सबसे मेहनती देश जापान लगभग 6800 द्वीपो से मिलकर बना हैं इस देश का नाम कुछ भी नया करने में सबसे आगे रहता हैं. यहां के लोग कितने मेहनती है इस बात का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका जैसे देशो ने जोर लगा लिया था लेकिन जापान पीछे हटने को तैयार नही हुआ. आइये “Japan Facts in Hindi” पढ़ते हैं.

Japan Facts in Hindi
जापान के बारे में रोचक तथ्य

1. जापान में हर साल लगभग 1500 भुकंम्प आते है मतलब कि हर दिन चार।

2. मुसलमानों को “नागरिकता” न देने वाला Japan अकेला राष्ट्र है। यहाँ तक कि मुसलमानों को Japan में किराए पर मकान भी नहीं मिलता।

3. जापान,के किसी विश्वविद्यालय में अरबी या अन्य कोई इस्लामी भाषा नहीं सिखाई जाती।


4. कुत्ता पालने वाला प्रत्येक जापानी नागरिक उसे घुमाते समय अपने साथ एक विशेष बैग रखता है, जिसमें वह उसका मल एकत्रित कर लेता हैं।

5. Japan में 10 साल की उम्र होने तक बच्चों को कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती।

6. Japan में बच्चे और अध्यापक एक साथ मिलकर Classroom को साफ करते हैं।

7. जापान के लोगो की औसत आयु दुनिया में सबसे ज्यादा है (82 साल). Japan में 100 साल से ज्यादा उम्र के 50,000 लोग हैं।

8. जापान के पास किसी प्रImage result for japan cityकार के प्राकृतिक संसाधन नहीं है और वे प्रतिवर्ष सैंकड़ों भूकंप भी झेलते हैं, किन्तु उसके बाद भी Japan दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति हैं।

9. “Sumo” Japan की सबसे लोकप्रिय खेल है. इसके इलावा बेसबाल भी काफी लोकप्रिय हैं।

10. Japan में सबसे ज्यादा लोग पढ़े लिखे हैं. जहां साक्षरता दर 100% है. जहां अखबारों और न्युज चैनलों में भारत की तरह दुर्घटना, राजनीति, वाद-विवाद, फिल्मी मसालो आदि पर खबरे नही छपती. यहां पर अखबारों में आधुनिक जानकारी और आवश्क खबरें ही छपती हैं।

11. Japan में जो किताबें प्रकाशित होती हैं उन में से 20% Comic Books होती हैं।

12. Japan में 1 जनवरी को नववर्ष का स्वागत मंदिर में 108 घंटियाँ बजा कर किया जाता हैं।

13. जापानी समय के बहुत पक्के है यहां तो ट्रेने भी ज्यादा से ज्यादा 18 सैकेंड लेट होती है।

14. “Vending Machine” वह मशीन होती है जिसमें सिक्का डालने से कोई चीज आदि निकल आती है जेसे कि noodles, अंडे, केले आदि. जब आप Japan में होगे तो इन मशीनों को हर जगह पाएँगे. यह हर सड़क पर होती है. जापान में लगभग 55 लाख वेंडिंग मशीन हैं।




15. 2015 तक जापान में देर रात तक नाचना मना था।

16. Japan में एक ऐसी बिल्डिंग भी है जिसके बीच से हाइवे गुजरता हैं।

17. जापान चारों और से समुंदर से घिरा होने के बावजूद भी 27 प्रतिशत मछलियां दूसरे देशों से मंगवाता हैं।

18. काली बिल्ली को Japan में भाग्यशाली माना जाता हैं।

19. Japan में 90% “Mobile WaterProof” है क्योकिं ये लोग नहाते समय भी फोन यूज करते हैं।

20. Japan में 70 तरह की “fanta” मिलती हैं।

21. जापान में सबसे ज्यादा सड़के ऐसी है जिनका कोई नाम नही हैं।

22. जापानियो के पास “Sorry” कहने के 20 से ज्यादा तरीके हैं।

23. Japan दुनिया का सबसे बड़ा आॅटोमोबाइल निर्माता हैं।


24. साल 2011 में Japan में जो भूकंप आया था वह आज तक का सबसे तेज भूकंप था। इस भूकंप से पृथ्वी के “घूमने की गति” में 1.8 microseconds की वृद्धि हुई थी।
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25. जापान दुनिया का केवल एकलौता देश है जिस पर “परमाणु बमों” का हमला हुआ है. जैसा कि आप जानते ही है कि अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त 1945 में हिरोशिमा और नागाशाकी पर बम फेंके थे. इन बमों को little-boy और Fat-man नाम दिया गया था।

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