पवित्र मक्का मदीना का इतिहास | Makka Madina History In Hindi
Makka Madina – मक्का मदीना सऊदी अरेबिया के हज का शहर है। यह मक्का साम्राज्य के शासक की राजधानी है। समुद्र सतह से 277 मीटर (909 फ़ीट) ऊँची जिन्नाह की घाटी पर शहर से 70 किलोमीटर अंदर स्थित है। 2012 तक तक़रीबन वहाँ 2 मिलियन लोग रहते थे, बल्कि इसके तीन गुना लोग प्रतिवर्ष लोग इसे देखने आते है। ज्यादातर मुस्लिम लोग धु-अल-हिज्जाह के बारहवे लूनर महीने में हज की यात्रा पर जाते है। कहा जाता है की यह स्थान मुहम्मद का जन्मस्थान और क़ुरान की पहली आकाशवाणी का स्थान भी है (यहाँ मक्का से 3 किलोमीटर की दुरी पर एक विशेष गुफा भी है)। इस्लाम धर्म में मक्का को सबसे पवित्र शहर माना जाता है।
पवित्र मक्का मदीना का इतिहास – Makka Madina History In Hindi
मक्का में इस्लाम धर्म के लोग इसे काबा का घर भी मानते है। मक्का पर लंबे समय तक मुहम्मद के वंशजो ने शासन किया है। जिनमे शरीफ भी शामिल है, जो स्वतंत्र रूप से शासन करते थे। मक्का का निर्माण 1925 में इब्न सौद ने किया था। आकार और आकृति को देखते हुए मक्का एक बेहतरीन और खूबसूरत ईमारत है।
काबा :
प्राचीन काल से ही मक्का धर्म तथा व्यापार का केंद्र रहा है। यह एक सँकरी, बलुई तथा अनुपजाऊ घाटी में बसा है, जहाँ वर्षा कभी-कभी ही होती है। नगर का खर्च यात्रियों से प्राप्त कर द्वारा पूरा किया जाता है। यहाँ पत्थरों से निर्मित एक विशाल मस्जिद है, जिसके मध्य में ग्रेनाइट पत्थर से बना आयताकार काबा स्थित है, जो 40 फुट लंबा तथा 33 फुट चौड़ा है। इसमें कोई खिड़की नहीं है, बल्कि एक दरवाज़ा है। काबा के पूर्वी कोने में ज़मीन से लगभग पाँच फुट की ऊँचाई पर पवित्र काला पत्थर स्थित है। मुस्लिम यात्री यहाँ आकर काबा के सात चक्कर लगाते हैं उसके बाद इसे चूँमते हैं।
पैगम्बर मुहम्मद का जन्मस्थल :
यहाँ मुहम्मद साहब ने 570 ई. पू. में जन्म लिया था। फिर मक्कावासियों से झगड़ा हो जाने के कारण मुहम्मद साहब 622 ईसवी में मक्का छोड़कर मदीना चले गए थे। अरबी भाषा में सफर करना “हिजरत” कहलाता है यही से सवंत हिजरी की शुरुआत हुई थी, मुहम्मद साहब के पहले मक्का का व्यापार मिस्र देशों से होता था। मस्जिद के समीप ही ‘जम-जम’ का पवित्र कुआँ है।
पवित्र क्षेत्र :
पैगम्बर मुहम्मद साहब ने शिष्यों को अपने पापों से मुक्ति पाने के लिये जीवन में कम से कम एक बार मक्का आना आवश्यक बताया था। अत: विश्व के कोने-कोने से मुस्लिम लोग पैदल, ऊँटों, ट्रकों, तथा जहाजों से यहाँ आते हैं। पहले यहाँ पर केवल मुस्लिम धर्मावलंबियों को ही आने का अधिकार प्राप्त था। इसके कुछ मील तक चारों ओर के क्षेत्र को पवित्र माना जाता है, अत: इस क्षेत्र में कोई युद्ध नहीं हो सकता और न ही कोई पेड़-पौधा काटा जा सकता है।
हजयात्रा का समय :
सऊदी अरब की धरती पर इस्लाम का जन्म हुआ था, इसलिए ‘मक्का’ और ‘मदीना’ जैसे पवित्र मुस्लिम तीर्थ स्थल उस देश की जागीर हैं। मक्का में पवित्र ‘काबा’ है, जिसकी प्रदक्षिणा कर हर मुस्लिम धन्य हो जाता है। यही वह स्थान है, जहाँ हजयात्रा सम्पन्न होती है। सम्पूर्ण विश्व में इस्लामी तारीख़ के अनुसार 10 जिलहज को विश्व के कोने-कोने से मुस्लिम इस पवित्र स्थान पर पहुँचते हैं, जिसे “ईदुल अजहा” की संज्ञा दी जाती है। भारत में इसे सामान्य भाषा में ‘बकरा ईद’ या ‘बकरीद’ कहा जाता है। हज सम्पन्न करने के पश्चात उसकी पूर्णाहुति तब होती है, जब शरीयत द्वारा मान्य पशु की कुर्बानी की जाती है।
मस्जिद-अल-हरम :
मक्का में ‘मस्जिद-अल-हरम’ नाम से एक विख्यात मस्जिद है। इस प्राचीन मस्जिद के चारों ओर पुरातात्विक महत्व के खंभे हैं। लेकिन कुछ समय पहले सऊदी सरकार के निर्देश पर इसके कई खंभे गिरा दिए गए। इस्लामी बुद्धिजीवियों में से अनेक लोगों का यह मत है कि इसी के पास से पैगम्बर साहब ‘बुरर्क’ (पंख वाले घोड़े) पर सवार होकर ईश्वर का साक्षात् करने के लिए स्वर्ग पधारे थे। बताया जाता है कि ‘मस्जिद-अल-हरम’ 356 हज़ार 800 वर्ग मीटर में फैली हुई है। कहा जाता है कि इसका निर्माण हजरत इब्राहीम ने किया था। अब इस मस्जिद के पूर्वी भाग के खम्भों को धराशायी किया जा रहा है। इतिहास की दृष्टि से इसका महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि यहाँ पैगम्बर हजरत मुहम्मद एवं उनके साथियों के महत्त्वपूर्ण क्षणों को अरबी में अंकित किया गया है।
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