चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास –
Chandragupta Maurya History in Hindi
ग्रीक और लैटिन खातो के अनुसार चन्द्रगुप्त सैंड्रोकोटॉ
ज्यादातर भारत को एक करने के बाद चन्द्रगुप्त और उनके मुख्य सलाहकार चाणक्य ने आर्थिक और सामाजिक बदलाव किये। उन्होंने भारत की आर्थिक और राजनैतिक स्थिति में भी सुधार किये। और चाणक्य के अर्थशास्त्र को ध्यान में रखते हुए राजनैतिक सुधार करने हेतु केंद्रीय प्रशासन की स्थापना की गयी। चन्द्रगुप्त कालीन भारत को प्रभावशाली और नौकरशाही की प्रणाली अपनाने वाले भारत के रूप में जाना जाता है जिसमे सिविल सेवाओं पर ज्यादा से ज्यादा जोर दिया गया था। चन्द्रगुप्त के साम्राज्य में एकता होने की वजह से ही उनकी आर्थिक स्थिति सबसे मजबूत मानी जाने लगी थी। और विदेशो में व्यापार होने के साथ ही देश का आंतरिक और बाहरी विकास भी होने लगा था।
चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रारंभिक जीवन कहानी
– Chandragupta Maurya Ki Kahani in Hindi
चन्द्रगुप्त के युवा जीवन और वंशज के बारे में बहोत कम जानकारी उपलब्ध है। उनके जीवन के बारे में जो भी जानकारी उपलब्ध है वो सारी जानकारी संस्कृत साहित्य और ग्रीक और लैटिन भाषाओं में से जो चन्द्रगुप्त के ही अँड्रॉटोस और सैंड्रोकोटॉ नाम पर है में से ली गयी है। बहोत से पारंपरिक भारतीय साहित्यकारों ने मौर्य का सम्बन्ध नंदा राजवंश से भी बताया है जो
की आधुनिक भारत में बिहार के नाम से भी जाना जाता है।
बाद में हज़ारो साल बाद एक संस्कृत नाटक मुद्राराक्षस में उन्हें “नंदनवय” मतलब नंद के वंशज भी कहा गया था। चन्द्रगुप्त का जन्म उनके पिता के छोड़ चले जाने के बाद एक बदहाल परिवार में हुआ था, कहा जाता है की उनके पिता मौर्य की सरहदों के मुख्य प्रवासी थे। चन्द्रगुप्त की जाती के बारे में यदि बात की जाये तो मुद्राराक्षस में उन्हें कुल-हीन और वृषाला भी कहा गया है। भारतेंदु हरीशचंद्र के अनुवाद के अनुसार उनके पिता नंद के राजा महानंदा और उनकी माता मोरा थी, इसी वजह से उनका उपनाम मौर्य पड़ा। जस्टिन ने यह दावा किया था की चन्द्रगुप्त एक नम्र प्रवृत्ति के शासक थे। वही दूसरी ओर नंद को प्रथित-कुल मतलब प्रसिद्ध और खानदानी कहा गया है। वही बुद्धिस्ट महावंशो ने चन्द्रगुप्त को मोरिया का वंशज (क्षत्रिय) बताया है।
महावंशटिका ने उन्हें बुद्धा के शाक्य वंश से जोड़े रखा, ऐसे वंशज से जिनका सम्बन्ध आदित्य से भी
था।
बुद्धिस्ट परम्पराओ में चन्द्रगुप्त मौर्य क्षत्रिय समुदाय के ही सदस्य थे और उनके बेटे बिन्दुसार और बड़े बेटे प्रचलित बुद्धिस्ट अशोका भी क्षत्रिय वंशज ही माने जाते है। संभवतः हो सकता है की साक्य रेखा से उनका सम्बन्ध स्थापित हुआ हो। (क्षत्रिय की साक्य रेखा को गौतम बुद्धा का वंशज माना जाता है और अशोका मौर्य ने अपने अभिलेख में खुद को बुद्धि साक्य बताया था।) मध्यकालीन अभिलेख में मौर्य का सम्बन्ध क्षत्रिय के सूर्य वंश से बताया गया है।
अपनी जन्मभूमि छोड़कर चली आने वाली मोरिय जाति का मुखिया चंद्रगुप्त के पिता था। दुर्भाग्यवश वह सीमांत पर एक झगड़े में मारे गये और उनका परिवार अनाथ रह गया। उसकी अबला विधवा अपने भाइयों के साथ भागकर पुष्यपुर (कुसुमपुर पाटलिपुत्र) नामक नगर में पहुँची, जहाँ उसने चंद्रगुप्त को जन्म दिया। सुरक्षा के विचार से इस अनाथ बालक को उसके मामाओं ने एक गोशाला में छोड़ दिया, जहाँ एक गड़रिए ने अपने पुत्र की तरह उसका पालन-पोषण किया और जब वह बड़ा हुआ तो उसे एक शिकारी के हाथ बेच दिया, जिसने उसे गाय-भैंस चराने के काम पर लगा दिया। कहा जाता है कि एकसाधारण ग्रामीण बालक चंद्रगुप्त ने राजकीलम नामक एक खेल का आविष्कार करके जन्मजात नेता होने का परिचय दिया। इस खेल में वह राजा बनता था और अपने साथियों को अपना अनुचर बनाता था। वह राजसभा भी आयोजित करता था जिसमें बैठकर वह न्याय करता था। गाँव के बच्चों की एक ऐसी ही राज सभा में चाणक्य ने पहली बार चंद्रगुप्त को देखा था।
बौद्ध रचनाओं में कहा गया है कि ‘नंदिन’ के कुल का कोई पता नहीं चलता (अनात कुल) और चंद्रगुप्त को असंदिग्ध रूप से अभिजात कुल का बताया गया है।
चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के ऐसे प्रथम शासक थे, जिन्होंने न केवल यूनानी, बल्कि विदेशी आक्रमणों को पूर्णत: विफल किया तथा भारत के एक बड़े भू-भाग को सिकन्दर जैसे महत्त्वाकांक्षी
यूनानी आक्रांता के आधिपत्य से मुक्त कराया। विस्तृत शासन व्यवस्था के होते हुए भी उन्होंने भारत को राजनीतिक एकता प्रदान की। उनकी प्रशासनिक व्यवस्था इतनी सुदृढ़, सुसंगठित थी कि अंग्रेजों ने भी इसे अपना आदर्श माना।
चन्द्रगुप्त मौर्य एक निडर योद्धा थे। उन्हें चन्द्रगुप्त महान
के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारत का अधिकतर भाग अपने मौर्य साम्राज्य में शामिल
कर लिया था। वे हमेशा से ही भारत में एकता लाना चाहते थे और आर्थिक रूप से भारत का विकास करना चाहते थे। मौर्य कालीन भारत आज भी एक विकसित भारत के रूप में याद किया जाता है।
भारतीय इतिहास के इस महान शासक
को कोटि-कोटि नमन।
चन्द्रगुप्त मौर्य एक महान सम्राट थे. चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने मिल कर मगध पर हमला किया और उनको सफलता प्राप्त हुई.
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